कोरोना की महामारी के बीच भी नफरत फैलाने का काम जारी है. एक पुराने वीडियों के जरिए कुछ विशेष लोग झूठा नरेटिव बनाकर इस काम में लगे हैं.वीडियों में बुर्का पहने हुए काफी महिलाएं लाइन में दिखाई देती है. महिलाओँ के पहनावे को इंगित करते हुए दावा किया जा रहा है कि लोगों के टैक्स के पैसों से मुफ्त सरकारी राशन लेने के लिए महिलाएं पहुंच गई . दिलचस्प बात ये है कि झूठ खुलने के बाद भी इन पोस्ट को हटाया नहीं गया है. कई बार फेक तस्वीरों और वीडियो के जरिए नफरत फैलाते पाए गए सुदर्शन न्यूज के मालिक और संपादक सुरेश चव्हाणके ने इस पुराने वीडियो को पोस्ट करते हुए दावा किया ”समय पर टैक्स भरो, फ़्री में राशन की क़तार देखो, पहचानों और आँखें खोलो…”

इसी तरह रेणुका जेन नाम  की ट्विटर यूजर ने ये वीडियो  मुस्लिम महिलाओं को टारगेट करते हुए ट्वीट किया.

कुछ औऱ पोस्ट आप यहां,यहां देख सकते हैं.फेसबुक पर ‘हिन्दू हैं हम’ नामके फेसबुक पेज पर भी इसे पोस्ट किया गया है. इस पेज के लगभग चार हजार फॉलोअर्स हैं. ऑरिजनल पोस्ट आप यहां देख सकते हैं.

फेसबुक पर किए गए पोस्टके कउछ स्क्रीन शॉट आप नीचे देख सकते हैं.

गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी वेव में गरीबों के लिए सरकार ने मई और जून 2021 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज देने का ऐलान किया था. इसी संदर्भ में इस वीडियो को शेयर किया जा रहा है.  

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सच क्या है ?

वीडियो को गौर से देखने पर कुछ साइन बोर्डस नजर आते हैं जिससे पता चलता है कि ये वीडियो यूपी के मुजफ्फऱनगर का है. महिलाएं बैंक ऑफ बड़ौदा के पास कतार में खड़ी नजर आती हैं. संबधित कीवर्ड के जरिए सर्च करने पर हमे ये वीडियो कुछ ट्वीटस में नजर आता है. ये ट्वीटस पिछले साल अप्रैल के महीने में किये गए थे. ट्वीटस में भी इन महिलाओँ को सांप्रदायिक आधार पर टारगेट किया गया था. लेकिन इससे एक बात तो साफ  हुई कि ये वीडियो हाल फिलहाल का नहीं बल्कि पिछले साल का है.

इन वीडियो में लिखे कैप्शन में बैंक से 500 रुपए लेने की बात कही गई थी. इसी आधार पर हमने थोड़ा और रिसर्च किया तो पता चला पिछले साल केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी में गरीबों की मदद के लिए मार्च के महीने में सभी महिलाओं के जनधन खातों में 500 रुपए डालने का ऐलान किया था. अप्रैल के महीने में ये रकम खातों में आनी शुरू हो गई थी. तीन महीने तक ये रकम खातों में ट्रांसफऱ होनी थी. कई अखबारों ने ये रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी कि देश के कई हिस्सों में ये अफवाह फैली कि अगर जल्द ही पैसा नहीं निकाला गया तो ये वापस चला जाएगा. मुजफ्फऱनगर से भी इस तरह की खबरे सामने आईं थी जिसकी वजह से बैंकों के सामने महिलाओं की भीड़ जमा हो गई थी. ये वीडियो हमे न्यज 18 के यू ट्यूब चैनल पर भी मिला. इसे पिछले साल 20 अप्रैल को अपलोड किया गया था. इस रिपोर्ट में भी यही बताया गया था कि महिलाएं बड़ी संख्या में जनधन खातों से पैसा निकालने के लिए एकत्रित हुईं थी. उऩ्हे ये डर था कि अगर पैसा नहीं निकाला तो वापस चला जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार बैंक अधिकारियों ने उनसे सोशल डिस्टेंसिंका पालन करने को कहा. औऱ ये भरोसा दिलाया कि उनका पैसा वापस नहीं जाएगा.

निष्कर्ष

ये साफ है कि वीडियो पिछले साल का है. इसमें दिख रहीं महिलाएं जनधन खातों से पैसा निकालने आई थी. इस पूरे मसले से ये पता चलता है कि कुछ खास तरह के लोग हर समय ऩफरत का नरैटिव तैयार करने में लगे रहते हैं. इन पर इस बात का भी असर नहीं पड़ता कि उनका झूठ पकड़ा गया है. साबित हुए झूठ पर कोई कार्रवाई तो दूर लोग पोस्ट तक भी नहीं हटाते. ये लोग कौन हैं. क्यों इन पर कोई कार्रवाई कभी नहीं होती. इनके प्रोफाइल चेक करने पर आपको बड़ी आसानी से पता चल जाएगा.

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