कुछ मेन स्ट्रीम मीडिया संगठनों ने दावा किया कि NIA ने एक रिपोर्ट केरल पुलिस चीफ को सौंपी है जिसमें 873 पुलिसकर्मियों के PFI से संबंध की बता कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस इंस्पेक्टर, एसएचओ और सिविल पुलिसकर्मी रैंक के कर्मचारी NIA की रडार पर हैं. इन पुलिस कर्मचारियों के वित्तीय लेनदेन की जांच की जा ही है.दैनिक भास्कर अखबार ने भी ये दावा अपने वेबसाइट में किया. आर्काइव यहां देख सकते हैं.

इसके अलावा मलयाली मनोरमा ग्रुप की वेबसाइट onmanorama.com और मात्रभूमि ने भी ये दावा किया. इनका आर्काइव यहां और यहां देख सकते हैं.

दक्षिणपंथी वेबसाइट ऑप इंडिया ने भी यही दावा किया . आर्काइव

मधु किश्वर और हिन्दूसेन गुप्ता ने भी अपने ट्विटर हैंडल से इन अखबारो की रिपोर्ट को पोस्ट किया.

हाल ही में देश भर में NIA की  PFI पर रेड के बाद सरकार ने इस संगठन पर बैन लगा दिया था. संगठन पर टेरर फंडिंग का आरोप है.   

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सच क्या है ?

ये दावा NIA के हवाले से किया गया था. इसलिए सबसे पहले हमने NIA के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल और वेबसाइट की जांच की. दोनों ही जगह ऐसी किसी रिपोर्ट का जिक्र  नहीं है. और ना ही कोई रिपोर्ट केरल पुलिस प्रमुख को सौंपने का जिक्र है. दावा ये किया  गया था कि रिपोर्ट केरल पुलिस चीफ को सौंपी गई है तो हमने केरल पुलिस के ट्विटर हैंडल की टाइम लाइन को देखा तो वहां हमे एक ट्वीट मिला जिसमे इस दावे को बेबुनियाद बताया गया. मलयाली में किए गए इस ट्वीट में कहा गया ”NIA के प्रतिबंधित संगठन PFI से 873 पुलिस कर्मियों के संबंध जैसी कोई रिपोर्ट NIA ने पुलिस प्रमुख को नहीं सौंपी है. इस खबर का कोई आधार नहीं है”  

कुछ और खोजबीन करने पर हमे न्यूज वेबसाइट  News Minute की रिपोर्ट मिली जिसमे वेबसाइट ने नाम ना छापने की शर्त पर NIA के अधिकारी का बयान कोट किया है. जिसमे उस अधिकारी ने कहा कि ऐसी कोई जानकारी उऩके पास नहीं है.

हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पहले कई इस तरह केी घटनाएं सामने आई हैं जिसमें पुलिस अफसरों से PFI के संबंधों को लेकर कार्रवाई की गई है. फऱवरी के महीने में इडुक्की में एक सिविल पुलिस अधिकारी को सस्पेंड भी किया गया था.

स्वराज के कंसल्टिंग एडिटर ए रंगनाथन ने भी मीडिया संगठनों के हवाले से ये खबर ट्वीट की थी. बाद में उऩ्होने एक स्पष्टीकरण जारी करके कहा ” NIA ने फोन करके कहा जिस रिपोर्ट को मैने स्टेट्समैन, मात्रभूमि, जी न्यूज और दैनिक भास्कर से कोट किया वो गलत है. हालांकि इनमे से किसी ने अपनी रिपोर्ट को नहीं हटाया लेकिन मैने NIA पर भरोसा करते हुए डिलीट कर दिया”

निष्कर्ष

जांच में ये पता चलता है कि मीडिया संगठनों ने NIA के नाम का इस्तेमाल करते हुए गुमराह करने वाला दावा किया.  ना तो NIA ने ये रिपोर्ट जारी की है और ना ही उऩकी वेबसाइट पर इस संबंध में कोई प्रेस रिलीज है. केरल पुलिस ने भी ऐसी किसी रिपोर्ट से इऩकार किया है.

दावा-NIA ने केरल पुलिस चीफ को PFI से संबंध रखने वाले 873 पुलिस कर्मियों की रिपोर्ट सौंपी

दावा करने वाले- कुछ मीडिया संगठन

सच-दावा गुमराह करने वाला है

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