सोशल मीडिया पर एक बार फिर धारा 30 (A) को लेकर एक पोस्टर खूब वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि “अब धारा 30(A) को समाप्त कर दिया जाना चाहिए ताकि स्कूलों में गीता, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ पढ़ाए जा सके।”

थोड़े थोड़े समय बाद ये दावा सालों से वायरल होता रहा है. वायरल दावे को ट्विटर यूजर्स ने भी जमकर शेयर किया है। 

इसके अलावा फेसबुक यूजर्स द्वारा साझा की गईं पोस्ट्स को यहांयहांयहां और यहां देखा जा सकता है। 

क्या है सच ?

वायरल दावे में कहीं पर भी यह नहीं बताया गया कि दावा करने वाला शख्स भारतीय संविधान की धारा(जिसे अनुच्छेद कहते हैं)का जिक्र कर रहा है अथवा भारतीय कानून की धारा के बारे में दावा कर रहा है इसलिए वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए भारतीय संविधान और कानून के बारें में कुछ आधारभूत जानकारी होना आवश्यक है। हमारे संविधान में कुल 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 12‌अनुसूची हैं। कुछ लोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद को धारा भी कहते हैं जो कि ग़लत है।

धाराओं का वर्णन संविधान में नहीं है  भारतीय कानून, कम्पनी अधिनियमों और समितियों की नियमावली में धाराओं के बारे में पढ़ने को मिलता है। हर संस्थान की अपनी नियमावली हो सकती है लेकिन संविधान एक ही है।  भारतीय संविधान देश के नागरिकों के लिए मौलिक अधिकारों का प्रबंध करता है। इसमें कुछ अधिकार ऐसे भी हैं जो अन्य देश के व्यक्तियों के लिए भी निर्धारित हैं देश के नागरिकों के अधिकारो के लिए भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुुच्छेद 12-35 तक  मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है संविधान की मूल कॉपी में अनुुच्छेद 30 शिक्षा संस्थान और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारों से सम्बंधित है। जिसमें लिखा है –

” 30. शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार (1) धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।1 [(1क) खंड (1) में निर्दिष्ट किसी अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा स्थापित और प्रशासित शिक्षा संस्था की संपति के अनिवार्य अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधि बनाते समय राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी संपत्ति के अर्जन के लिए ऐसी विधि द्वारा नियत या उसके अधीन अवधारित रकम इतनी हो कि उस खंड के अधीन प्रत्याभूत अधिकार निर्बन्धित या निराकृत न हो जाए ||(2) शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबंध में है।”

इस अनुच्छेद में कहीं पर भी 30 A का जिक्र नहीं किया गया।

हमनें भारतीय दंड संहिता (IPC) के पेज 18-19 पर वर्णित की गई धारा 30 को देखा जिसमें लिखा है – Valuable security”.—The words “valuable security” denote a document which is, or purports tobe, a document whereby any legal right is created, extended, transferred, restricted, extinguished or released, or whereby any person acknowledges that he lies under legal liability, or has not a certain legal right.A writes his name on the back of a bill of exchange. As the effect of this endorsement is to transfer the right to the bill to anyperson who may become the unlawful holder of it, the endorsement is a “valuable security”.

इसमें भी धारा 30 A का जिक्र नहीं है।

वहीं Crpc की धारा 30 जुर्माना अदा न करने पर कारावास की सजा से सम्बंधित है। इसमें भी कहीं पर वायरल दावे से सम्बंधित 30 A का जिक्र नहीं किया गया। 

विधायी विभाग, कानून और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार की केंद्रीय और राज्य अधिनियमों की इंडिया कोड डिजिटल रिपॉजिटरी के मुताबिक, धारा 30 A, जम्मू और कश्मीर सहकारी समिति से सम्बंधित है। 

निष्कर्ष

भारतीय संविधान में धारा 30A है ही नहीं. दरअसल संविधान में धाराएं नहीं अनुच्छेद होते है और 30 (A) अनुच्छेद का भी जिक्र नहीं है। पूरे संविधान में किसी भी अनुच्छेद में धार्मिक किताबे पढ़ाने की बात नहीं लिखी है. संविधान में अनुच्छेद 30 है जो शिक्षा संस्थान और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारो से सम्बंधित है।

दावा – धारा 30(A) को समाप्त करने से स्कूलों में गीता, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ पढ़ाई जा सकेंगी”

दावा करने वाला – सोशल मीडिया यूजर्स

सच – दावा ग़लत है

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