25 सेकेंड की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर कई दिन से वायरल है. वीडियो में कुछ लोग हथोड़े से गेट के चारो तरफ बनी दीवार तोड़ते नजर आ रहे हैं. ये लोग स्कल कैप पहने हुए हैं.दावा किया जा रहा है कि आंध्रप्रदेश के गुंटूर में मुस्लिम लोग मंदिर तोड़ रहे हैं. India Check ने पाया है कि ये मंदिर नहीं है बल्कि मुसलमानों की आस्था का केंद्र है. सुदर्शन न्यूज के रिपोर्टर जितेंद्र प्रताप सिंह ने अपने वेरिफिड ट्विटर हैंडल से वीडियो पोस्ट किया और कैप्शन में दावा किया ”वीडियो आंध्रप्रदेश के गुंटूर का है जहां जिहादी सरेआम हिंदू मंदिर पर हथौड़ा चलाकर तोड़ रहे हैं. ध्यान रहे सेक्युलर जमात के हिंदुओं, कल ये हथौड़ा तुम्हारे घऱ पर भी चलने वाला ह. एकमात्र विकल्प हिन्दुस्थान को हिन्दूराष्ट्र घोषित करो’ आर्काइव
दक्षिण पंथी वेबसाइट ऑर्गेनाइजर के संवाददाता निशांत आजाद ने वीडियो के साथ दावा किया ”भाई ‘चारा’:आंध्र प्रदेश के गुंटूर में 40 साल पुराने मंदिर को शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने तोड़ दिया”. आर्काइव
कुछ और दावे आप यहां और यहां देख सकते हैं.
फेसबुक पर नमो इंडिया पेज पर भी इस दावे को वीडियो के साथ शेयर किया किया गया. जहां इस वीडियो को अबतक 17 हजार बार देखा जा चुका है.
फेसबुक पर कुछ और वीडिया यहां देख सकते हैं.
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सच क्या है ?
वायरल वीडियो की तलाश के दौरान हमें बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और आंध्रप्रदेश के इंचार्ज सुनील देवधर का ट्वीट मिला जिससे पता चलता है कि वीडियो में मंदिर नहीं तोड़ा जा रहा है. वीडियो के साथ उऩ्होने कैप्शन में लिखा ”ये वीडियो आंध्रप्रदेश के उसी गुंटूर से है जहां अल्पसंख्यक तुष्टिकरण को बढ़ावा देने वाली जगन रेड्डी सरकार को जिन्ना टॉवर पर गर्व है ! अब स्थानीय मुस्लिम विधायक के गुंडे हिन्दुओं की आबादी के बीच बनी छोटी सी दरगाह को तोड़कर बड़ी मस्जिद बनाना चाहते हैं. बीजेपी इसकी अनुमति कभी नहीं देगी.”
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव वी सत्यकुमार का भी एक ट्वीट मिला जिससे पता चला कि वीडियो गुंटूर का है लेकिन विवाद मु्लिम समुदाय के ही दो गुटों के बीच का है. इस वीडियो में उन्होने अंग्रेजी में कैप्शन लिखा जिसका हिन्दी अनुवाद है ”एपी के गुंटूर में उच्च जाति के अशरफ मुस्लिमों ने पसमंदा मुसलमानों की पवित्र दरगाह को तोड़ दिया. मैं पिछड़ी जाति के मुसलमानों के धार्मिक अधिकार को छीने जाने की कड़ी निंदा करता हूं और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करता हूं”
इऩ दोनों बीजेपी नेताओं के ट्वीट से ये पता चलता है कि वायरल वीडियो में तोड़ी जा रही दीवार मंदिर की नहीं बल्कि दरगाह की है. और मु्स्लिम समुदाय के ही दो पक्षों के बीच विवाद है. हमने कुछ कीवर्ड की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमे ‘MISCREANT TRIES TO DEMOLISH PLACE OF WORSHIP’ हेडलाइन के नाम से ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट मिली जसमे बताया गया कि 12 अक्टूबर को गुंटूर के एलआर नगर मे कुछ लोगो ने ‘भाजी भाषा निशानी दरगाह’ को तोड़ने की कोशिश लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले को शांत करा दिया. ये रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.
इस सिलसिले में India Check ने गुंटूर के एसपी सिटी आरिफ हफीज को वायरल क्लिपिंग भेजकर उनसे बात की तो उन्होने बताया ”ये वीडियो गुंटूर का ही है लेकिन मंदिर तोड़ने की बात बेबुनियाद है.वो जगह मंदिर नहीं है. इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. दरगाह भी नहीं कहेंगे. क्योंकि यहां किसी की मजार भी नहीं है.सिर्फ कुछ पत्थर लगे हैं. उन्होने आगे बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक बुजुर्ग व्यक्ति की याद में इसे बनवाया था. करीब 40 साल से आसपास के लोग यहां आते हैं और जगह का काफी सम्मान करते हैं. इस जगह को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच ही विवाद है. कुछ लोग इस जगह पर मस्जिद बनवाना चाहते हैं और कुछ इसे ऐसे ही रहने देने चाहते हैं. इसी विवाद के चलते एक पक्ष के लोगों ने यहां तोड़फोड़ की थी. जानकारी मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामला शांत कराया. और इस जगह की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. उन्होने बताया कि इस जगह के मालिकाना हक को लेकर जांच चल रही है. रेवन्यू और वक्फ बोर्ड के लोग इस बारे में पता कर रहे हैं. इस मामले में पुलिस में किसी तरफ से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. आपस में ही दोनों पक्षों ने सुलह कर ली है.” दरअसल इस जगह की देखभाल पिछले 40 साल से रत्नम उर्फ रहमान नामके व्यक्ति कर रहे थे. साल 2020 में उनका निधन हो गया था.उसके बाद उऩकी बेटी इस जगह की देखभाल करती है.
निष्कर्ष
हमने अपनी जांच में पाया कि ये वीडियो गुंटूर का है. लेकिन वीडियो के बारे में दावा पूरी तरह गलत है. वीडियो में गेट के ऊपर तोड़ी जा रही दीवार किसी मंदिर की नहीं है.ये मुस्लिम समुदाय के ही आस्था का केंद्र है. और मुस्लिम समुदाय के ही दो गुटों के बीच इसे लेकर विवाद है.
दावा- गुंटूर में मुस्लिम समुदाय के लोग मंदिर तोड़ रहे हैं
दावा करने वाले- दक्षिण पंथी सोशल मीडिया यूजर
सच-दावा गलत है