रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली के दौरान नए नागरिकता कानून और NRC यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन पर हो रहे विरोध और हिंसा के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया. उन्होने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को डरा रही है. लगभग 90 मिनट तक प्रधानमंत्री ने भाषण दिया. इस दौरान उन्होने दावा किया कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है.

देश के मुसलमानों को ना डिटेंशन सेंटर में भेजा जा रहा है और ना ही हिन्दुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है. ये सफेद झूठ है. ये बद इरादे वाला खेल है .ये नापाक खेल है

प्रधानमंत्री के भाषण के इस अंश को आप यहां 1:08:57-1:09:19 टाइम स्टैम्प के बीच सुन सकते हैं.

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फैक्ट चेक

प्रधानमंत्री के इस बयान का सच जानने के लिए हमने साधारण गूगल सर्च का इस्तेमाल कुछ की-वर्डस की सहायता से किया. सर्च के दौरान हमें बहुत से परिणाम मिले. कई अखबारों की 27 नवंबर 2019 की एक रिपोर्ट हमे मिली जिसमें कहा गया है कि राज्यसभा में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित प्रश्न के जवाब में जानकारी दी कि असम में 1000 लोग 6 डिटेंशन सेंटर में रहते हैं जिनमें से 28 लोगों की मौत बीमारी की वजह से हुई. ये वाकया 2019 से अक्टूबर 2019 के बीच का है. गृहराज्य मंत्री ने अपने जवाब मं ये भी कहा कि इनमें से किसी की मौत डर की वजह से नहीं हुई. राज्य सरकार का हवाला देते हुए उन्होने कहा कि सभी डिटेंशन सेंटर में सारी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. द हिन्दू सहित तमाम अखबारों ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया था. न्यूज एजेंसी ANI ने भी इस खबर को ट्वीट किया था.

इस साल 2 जुलाई को शशि थरूर के डिटेंशन सेंटर के बारे में लोकसभा में पूछे गए सवाल पर गृराज्यमं6ी ने जवाब दिया था कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं. 25 जून तक इनमें 1133 लोग के रहने की बात उन्होने कही थी.

2 जुलाई 2019 को लोकसभा में डिटेंशन सेंटर के बार में पूछे गए सवाल और जवाब का स्क्रीन शॉट ( सोजन्य लोकसभा)
2 जुलाई 2019 को लोकसभा में डिटेंशन सेंटर के बार में पूछे गए सवाल और जवाब का स्क्रीन शॉट ( सोजन्य लोकसभा)

थरूर के ऑरिजनल सवाल और गृहमंत्री के लोकसभा में लिखित जवाब को आप यहां देख सकते हैं. इसी साल 24 जुलाई को राज्यसभा में डिटेंशन सेंटर पर कुछ प्रश्नों के लिखित जवाब में गृहराज्य मंत्री ने बताया था कि सरकार ने एक डिटेंशन सेंटर मैनुअल बनाया है जिसे सभी राज्यों और यूनियन टेरिटरी को इस साल 9 जनवरी को भेजा है. इस मैनुअल में जरुरी मानवीय आवश्यकताओं को इनमे रहने वालों को उपलब्ध कराने की बात कही गई है. इसमे जनरेटर के साथ बिजली, पीने का पानी वाटर कूलर के साथ, साफ सपाई की सुविधा, बिस्तर, पानी के साथ पर्याप्त संख्यां में टॉयलेट, किचन, ड्रनेज और सीवेज का उचित इंतजाम और कम्युनिकेशन की सुविधाएं शामिल हैं. ये जवाब आप यहां देख सकते हैं.

असम में गोलपारा शहर के पास देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर के निर्माण की रिपोर्ट भी हमे अपनी खोज के दौरान मिली. रॉयटर्स ने इस डिटेंशन सेंटर में काम कर रहे मजदूरों पर एक स्टोरी की है. जिसमें बताया गया है कि इस सेंटर में करीब 3000 लोगों के रहने की व्यवस्था होगी. ये रिपोर्ट आप यहां देख सकते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इस डिटेंशन सेंटर पर रिपोर्ट की है.

असम में गोलपारा जिले के पास बन रहे डिटेंशन सेंटर की तस्वीर ( रॉयटर्स)
असम में गोलपारा जिले के पास बन रहे डिटेंशन सेंटर की तस्वीर ( रॉयटर्स)

7 सितंबर 2019 की मुंबई मिरर में महाराष्ट में भी डिटेंशन सेंटर बनाए जाने की बात कही गई है. रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार के निर्देश पर नवी मुंबई में इसे बनाने की योजना बनाई गई है.

निष्कर्ष

हमारी जांच में ये बात साबित हुई है कि प्रधानमंत्री का ये दावा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है गलत है.

दावा- देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है

दावा करने वाले- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

सच- दावा सही नहीं है

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