मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओ को निर्वस्त्र गुमाए जाने के बाद देशभर में सियासी हंगामा जारी है. विपक्ष प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन में बोलने की मांग कर रहा है. TV चैनलों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में बहस हो रही है. इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के साथ 22 जुलाई को TV9 चैनल  पर बहस के दौरान एक दावा किया कि, यूपीए सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हिंसा भड़की तो उन्होंने हिंसा के दौरान कभी भी असम या किसी अन्य पूर्वोत्तर राज्य का दौरा नहीं किया या उसके बारे में बात नहीं की जबकि मनमोहन सिंह खुद असम से राज्यसभा संसद थे.  पूनावाला ने दावा किया, “यूपीए सरकार के 8 साल के कार्यकाल में 8,000 घटनाएं हुईं, जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के 2,000 लोग मारे गए। अगर मनमोहन सिंह ने एक शब्द भी कहा होता तो मैं अपना नाम बदल देता।” यूट्यूब पर फुल-लेंथ टीवी डिबेट वीडियो के हिस्से को 18:48 के टाइमस्टैम्प से सुना जा सकता है.

 बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला के दावे का सच 


नवम्बर 2004 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन का मणिपुर और असम का तीन दिवसीय दौरा

इंडिया टुडे और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक जुलाई 2004 में असम राइफल्स के जवानों द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता थांगजम मनोरमा देवी के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के विरोध में आंदोलनकारी मणिपुर में सड़कों पर उतर आए थे। आंदोलनकारियों ने संदिग्धों की गिरफ्तारी और सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को रद्द करने की मांग की थी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन ने नवम्बर 2004 को मणिपुर और असम का तीन दिवसीय दौरा किया था. 

ऐतिहासिक कंगला किला, जो असम राइफल्स का मुख्यालय हुआ करता था, के हस्तांतरण की लंबे समय से लंबित मणिपुरी मांग को पूरा करते हुए, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वहां के लोगो को संबोधित करते हुए कहा था कि “‘हिंसा को छोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि प्रगति और विकास केवल तभी आगे बढ़ाया जा सकता है जब शांति और व्यवस्था बनी रहे”। उन्होंने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम के प्रावधानों की जांच करने और इसमें बदलाव के लिए सुझाव देने के लिए न्यायमूर्ति जीवन रेड्डी (विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष) की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति की स्थापना की घोषणा भी की थी.

अगस्त 2012 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का संसद में बयान

रायटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि अगस्त 2012 को जब असम में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के डर से हजारों लोग मुंबई, बेंगलुरु और अन्य शहरों को पलायन करने लगे तब प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने देश के उत्तर-पूर्व के प्रवासियों को आश्वासन देते हुए संसद में अपने बयान में कहा था कि “जो कुछ दांव पर लगा है वह हमारे देश की एकता है। जो बात दांव पर लगी है वह सांप्रदायिक सद्भाव है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं… कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे कि हमारे मित्र, हमारे बच्चे और पूर्वोत्तर के हमारे नागरिक हमारे देश के किसी भी हिस्से में सुरक्षित महसूस करें।”बता दें कि, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई द्वारा ‘सेना तैनाती में देरी’ के लिए यूपीए सरकार को दोषी ठहराए जाने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रभावित लोगों से मिलने के लिए असम के कोकराझार में राहत शिविरों का दौरा किया था। वहीँ हिंसा प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास की सुविधा के लिए असम सरकार को 100 करोड़ रुपये की तत्काल सहायता की घोषणा  भी की थी.


जनवरी 2009 को मनमोहन सिंह का असम-मेघालय दौरा


मेघालय के पाइन सिटी में नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. उस दौरान असम शहर में हिंसा छिड़ी हुई थी जिसका जायजा लेने पीएम एक दिन पहले गुवाहाटी पहुंचे और अगली सुबह हेलीकॉप्टर से शिलांग के लिए रवाना हुए.गुवाहाटी पहुंचने पर सिंह ने राज्यपाल एससी माथुर और मुख्यमंत्री तरूण गोगोई से मुलाकात की। सूत्रों ने कहा कि पीएम ने उग्रवाद के खिलाफ अभियान में असम सरकार को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

4 फरवरी 2014 को अरुणाचल प्रदेश के छात्र निडो तानियाम की हत्या के ख़िलाफ़ हिंसा पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का वक्तव्य

अरुणाचल प्रदेश के छात्र निडो तानियाम, जिनकी जनवरी 2014 को दिल्ली के लाजपत नगर में हत्या कर दी गई थी पर अपने बयान में प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि ,“अरुणाचल प्रदेश के छात्र निडो तानियाम पर हमला अत्यंत निंदनीय है। हालांकि निडो तानियाम की मौत का वास्तविक कारण शव परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन उनके निधन से पहले हुई हिंसा दुखद और शर्मनाक है। हमारी सरकार दोषियों को दंडित करने और देश के अन्य हिस्सों, विशेषकर उत्तर पूर्व से दिल्ली आने या रहने वाले छात्रों और नागरिकों को प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी”।

निष्कर्ष

indiacheck ने अपनी पड़ताल में बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला के दावे को झूठा पाया है. यूपीए सरकार के कार्यकाल में हिंसा भड़कने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कई बार पूर्वोतर राज्यों का दौरा किया था.

दावा – यूपीए सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हिंसा भड़की तो उन्होंने हिंसा के दौरान कभी भी असम या किसी अन्य पूर्वोत्तर राज्य का दौरा नहीं किया या उसके बारे में बात नहीं की

दावा किसने किया – भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने

सच – दावा झूठा है

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