श्रीनगर के सौरा में हुए विरोध प्रदर्शन की तस्वीर

बीबीसी, अल जज़ीरा औऱ रॉयटर्स की कश्मीर के बारे में रिपोर्ट को लेकर सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में लगातार बहस चल रही है. कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य के दर्जे को हटाने के बाद 9 अगस्त यानि शुक्रवार को श्रीनगर के सौरा इलाके में इंटरनेशनल मीडिया संस्थानो के दावों पर काफी विवाद हो रहा है. बीबीसी और अल जज़ीरा  ने वीडियो फुटेज के साथ रिपोर्ट किया कि सौरा में 9 अगस्त को नमाज़ के लिए कर्फ्यु में ढील के दौरान अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन किया. इस दौरान लोगों ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया. सुरक्षा बलों ने पैलेट गन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. नीचे आप दोनों चैनलों की वीडियो फुटेज देख सकते हैं.

बीबीसी ने विवाद के बीच कहा कि वो अपने रुख पर कायम हैं. और ये दावा किया कि उन्होने वही दिखाया जो सही था.

अल जज़ीरा के पास भी वही वीडियो फुटेज था बस कैमरा एंगल फर्क था.

रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि करीब 10 हज़ार लोगों ने सड़कों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. ये रिपोर्ट आप यहां देख सकते हैं. रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी का वर्ज़न लिया गया है लेकिन सका नाम ज़ाहिर नहीं किया गया.

इस रिपोर्ट को सरकार ने अगले ही दिन खारिज कर दिया गया सरकार की तरफ से कहा गया ‘रॉयटर्स की एक रिपोर्ट पाकिस्तान के डॉन अख़बार में प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि श्रीनगर में 10 हज़ार लोगों विराध प्रदरर्शन किया. ये पूरी तरह गलत और मनगढ़ंत है. श्रीनगर और बारामुला में इक्का-दुक्का घटनाएं हुई हैं जिनमें 20 से अधिक लोग भी शामिल नहीं हुए’

इस बीच इकॉनॉमिक टाइम्स अखबार ने 12 अगस्त को एक रिपोर्ट की जिसमें कहा गया कि सरकार ने बीबीसी औऱ अल जज़ीरा से अन एडिटेड वीडियो फुटेज मांगे हैं. ये रिपोर्ट आप यहां देख सकते हैं

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फैक्ट चेक

India check ने बीबीसी औऱ अल जज़ीरा की वीडियो फुटेज का फ्रेम बाइ फ्रेम एनालिसिस किया. और पूरे फुटेज में से की-फ्रेमस निकाले. इन की-फ्रेमस की एनालिसिस से पहले हम यहां उन सवालों के बारे में बता दें जो बीबीसी, अल जजीरा की वीडियो फुटेज पर उठाए गये.

वीडियो फुटेज पर उठाए गए सवाल

  • वीडियो श्रीनगर के सौरा इलाके का नहीं है
  • वीडियो फेक है
  • वीडियो पुराना है
  • वीडियो को कांट-छांट कर बनाया गया
  • कश्मीर में कहीं भी 20 लोगों से ज्यादा लोगों ने इकट्ठा होकर प्रदर्शन नहीं किया
  • एक भी गोली नहीं चलाई गई

अब वीडियो फुटेज से निकाली गई महत्वपूर्ण तस्वीरों का एनालिसिस करते हैं.

वीडियो किस जगह का है ?

पहली तस्वीर

बीबीसी  की वीडियो फुटेज में रमज़ान मेमोरियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के साइनबोर्ड  का स्क्रीन शॉट
बीबीसी की वीडियो फुटेज में रमज़ान मेमोरियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के साइनबोर्ड का स्क्रीन शॉट

इस तस्वीर में दाहिने तरफ एक साइन बोर्ड है जिसमें ramzaan memorial educational inst. लिखा हुआ है लेकिन कुछ हिस्सा खंभो के पीछे छिप गया है, जिसकी वजह से सिर्फ ramzaan memorial दिखाई दे रहा है.इस तस्वीर को आप यहां 0:34 काउंटर पर देख सकते हैं. हमारी रिसर्च में पता चला कि रमज़ान मेमोरियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट श्री नगर के सौरा में है. इसे आप गूगल मैप पर यहां देख सकते हैं. हालांकि कश्मीर में रमज़ान मेमोरियल के नाम से और भी एजुकेशलन इंस्टीट्यूट हैं. सिर्फ इस तस्वीर से ये साबित नहीं किया जा सकता कि ये जगह श्रीनगर का सौरा इलाका ही है. इसलिए हमने कई और तस्वीर की एनालिसिस की है.

दूसरी तस्वीर

तस्वीर में बांए हाथ में सबसे ऊपर बीबीसी के लोगो के पीछे nice bakery का साइन बोर्ड (स्क्रीन शॉट)
तस्वीर में बांए हाथ में सबसे ऊपर बीबीसी के लोगो के पीछे nice bakery का साइन बोर्ड (स्क्रीन शॉट)

बांए हाथ पर सबसे ऊपर बीबीसी के लोगो के पीछे अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको ‘ICE BAKERY’ लिखा दिखाई देगा. दरअसल ये सौरा में स्थित ‘NICE BAKERY’ का साइन बोर्ड है. इसमें ‘N’ छिप गया है. इनका एक फेसबुक पेज जिस पर पूरा पता लिखा हुआ है. इसे आप यहां देख सकते हैं.

तीसरी तस्वीर

आप दो तस्वीरें देख रहे हैं, एक BBC औऱ दूसरी AL JAZEERA की है. दोनों में लाल रंग से मार्क की गई जगह में एक मस्ज़िद की मीनार और गुंबद दिख रहा है. इस मस्ज़िद का नाम जेनब सेब मस्ज़िद है औऱ ये सौरा में स्थित है. इसे गूगल मैप पर आप यहां देख सकते हैं. इन सभी तस्वीरों से इस बात की पुष्टि तो हो जाती है कि वीडियो फुटेज श्रीनगर के सौरा का ही है.बीबीसी के वीडियो में आप 0:49 औऱ अल जज़ीरा में आप 0:31 पर इस मस्ज़िद को देख सकते हैं.

वीडियो कब का है ?

दोनों तस्वीरों में  बैनर पर लिखा है आर्टिकल 370 को हटाया जाना मंज़ूर नहीं
दोनों तस्वीरों में बैनर पर लिखा है आर्टिकल 370 को हटाया जाना मंज़ूर नहीं

बीबीसी औऱ अल जज़ीरा के मताबिक ये विरोध प्रदर्शन 9 अगस्त को हुआ था. आपको बता दें कि कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने का फैसले का एलान 5 अगस्त को किया गया था. फैसले से एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर में फोन और इंटरनेट बंद कर दिए गए थे. और धारा 144 लगा दी गई थी. दोनों तस्वीरों में सफेद रंग के बैनर पर लिखा है ‘ABROGATION OF ARTICLE 370 IS NOT ACCEPTABLE FOR US’ यानि अनुच्छेद 370 का हटाया जाना हमे म़ज़ूर नहीं है. इससे इस बात को बल मिलता है कि ये प्रदर्शन 5 अगस्त के बाद हुआ होगा. लेकिन बिल्कुल सही तारीख हम पता करने में सक्षम नहीं हैं. बीबीसी, अल जज़ीरा, रॉयटर्स ने इस घटना को 9 अगस्त का बताया है. हमने इस वीडियो की खोज इंटरनेट पर की लेकिन हमें 9 अगस्त से पहले ये वीडियो यू ट्यूब ,फेसबुक और दूसरी किसी भी साइट पर नहीं दिखाई दिए.

वीडियो में काट-छांट की गई ?

वीडियो के आखिरी हिस्से में भीड़ एक पार्क में एकत्रित दिखाई देती है, जिसे कुछ लोग संबोधित करते हैं. इस हिस्से को लेकर सवाल उठाए गए कि ये कहीं और का वीडियो जोड़ गया है. अब हम आपको दो तस्वीरे दिखाते हैं एक पार्क में एकत्रित लोगों की और दूसरी सड़क पर प्रदर्शन कर रहें लोगों की.

दोनों तस्वीरों के बैनर में एक गलती है. औऱ ये गलती एक जैसी है. बैनर में ‘ARTICLE’ की जगह ‘ARTICALE’ लिखा हुआ है. मतलब ये कि सड़क पर प्रदर्शनकारी वही बैनर लिए हुए हैं जो पार्क में बैठे हुए लोग लिए हैं. इससे इस तथ्य को बल मिलता है कि वीडियो में कहीं और के शॉट्स नहीं जोड़े गए हैं. सडक पर बैनर लिए लोगों को 0:48 और पार्क में बैनर लिए 01:07 पर इस वीडियो में आप देख सकते हैं.

बीबीसी, अल जज़ीरा औऱ रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. हालांकि वीडियों में जब प्रदर्शनकारी पत्थर पेंकेते हुए दिखाई देते हैं तो कुछ आवाजें गन शॉट की तरह सुनाई देती हैं. और वीडियो में धुआं भी दिखाई देता है. INDIA CHECK इस बात को पूरी तरह साबित करने में सक्षम नहीं है कि ये शॉट किस चीज के थे। सरकार की तरफ से ये कहा गया कि कश्मीर में किसी भी विरोध प्रदर्शन में 5 अगस्त के बाद से 20 लोग से ज़्यादा शामिल नहीं हुए. लेकिन बीबीसी और अल जजीरा के वीडियो में प्रदर्शनकारियों की संख्या काफी है. आफ कुद वीडियो में अंदाजा लगा सकते हैं. इंडिया चेक इस बारे में कोई तत्यात्मक जानकारी देने में सक्षम नहीं है लेकिन इस बात से पूरी तरह इंकार करता है कि ये कोई छोटा-मोटा प्रदर्शन था. इन सब बातों की पुष्टि सरकार की तरफ से 13 अगस्त को जारी एकबयान से हो जा ती है जिसमें अफने पहले के रुख से अलग श्रीनगर के सौरा इलाके में काफी बडे औऱ हिंसात्मक प्रदर्शन की बात मानी है. सरकार ने ट्विटर पर जारी बयान में कहा कि श्रीनगर के सौरा इलाके में 9 अगस्त को कुछ शरारती तत्वों ने स्थानीय मस्ज़िद में नमाज़ पढ़कर लौट रहे लोगों में शामिल होकर सुरक्षा बलों पर पथराव किया, जिसकरी वजह से ये उपद्रव काफी बड़ा हो गया.

निष्कर्ष

सरकार की तरफ से आए इस बयान से ये साफ हो गया कि सौरा में 9 अगस्त को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था.इसके अलावा हमारी फैक्ट चेक रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक करती है कि वीडियो उसी इलाके का है. इसमें कहीं औऱ की फुटेज का इस्तेमाल नहीं है. सुरक्षा बलों ने गोलियां चलाई कि नहीं ये सवाल अभी बाकी है. हलांकि सरकार की तरफ से ये कहा जा रहा है कि उन्होने एक भी गोली नहीं चलाई

दावा- बीबीसी, अल जज़ीरा,रॉयटर की श्रीनगर के सौरा इलाके के बारे में रिपोर्ट औऱ वीडियो झूठे हैं

दवा करने वाले- सोशल मीडियो यूज़र

सच- ये दावा गलत है. श्रीनगर के सौरा में बड़ी संख्या में लोगों ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया.

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