3 साल पुरानी बांग्लादेश की तस्वीर को केरल में पूजा करने पर हिन्दू महिला को मारने की बताई जा रही है-FACT CHECK

2018 से ये तस्वीर इसी दावे के साथ वायरल है. लेकिन हमारी जांच में तस्वीर भारत की नहीं बल्कि बांग्लादेश की है

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पिछले एक हफ्ते से दो तस्वीरों का एक कोलाज बार-बार लोग पोस्ट कर रहे हैं. तस्वीर में एक महिला के चेहरे से खून टपक रहा है. कोलाज में शामिल अन्य तस्वीर में से एक में कुछ फल, करेंसी और अन्य सामान ज़मीन पर पड़ा हुआ दिखाई देता है. तस्वीरों के इस कोलाज के साथ दावा किया जा रहा है कि हिन्दू महिला को केरल में ‘जिहादियों’ और क्रिश्चियन मिशनरीज ने इसलिए मारा की वो मंदिर में पूजा कर रही थी.

हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में इसे पोस्ट किया जा रहा है.29 अप्रैल को रेनि लिन नामके ट्विटर हैंडल से इसे पोस्ट किया गया. जिसका हिन्दी अनुवाद है ”केरल में क्रिश्चियन मिशनरीज और जिहादी हिन्दुओं को आतंकित कर रहे हैं.इस हिन्दू महिला को इसलिए मारा गया कि वो मंदिर में पूजा कर रही थी. मीडिया इसे नहीं प्रकाशित करेगा क्योंकि हिन्दू के खिलाफ अपराध हुआ है. आवाज उठाओ, हम अवश्य सुनिश्चित करेंगे कि हिन्दुओं का कत्लेआम अब कभी नहीं होगा.मीडिया कहां हो तुम”  

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन आप यहां देख सकते हैं .कुछ और पोस्ट फेसबुक पर भी देख सकते हैं

केरल में ईसाई मिशनरीयो का आतंक अब इतना बढ़ चुका है कि हिन्दुओ को पूजा अर्चना और अपने धार्मिक रीती रिवाज़ो को पूरा करने…

Geplaatst door Saffron Nation op Zondag 26 april 2020

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फैक्ट चेक

तस्वीर का गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमे पता लगा कि ये तस्वीर साल 2018 से इंटरनेट पर वायरल है.

इस पोस्ट में महिला के पीछे कुछ व्यक्ति खड़े हैं. इनमें से एक की टी-शर्ट पर बांग्ला भाषा में कुछ लिखा है. अगर जूम करके देंखेंगे तो थोड़ा बेहतर दिखाई देगा .

कई बार फेक न्यूज फैलाते हुए पकड़े जाने वाले शंखनाद ने अपने ट्विटर हैंडल से इसे साल 2018 में पोस्ट किया था. फिल्म एक्टर परेश रावल ने भी इसी दावे के साथ उस समय पोस्ट किया था. बाद में दोनों ने अपने ट्वीट डिलीट कर दिए थे. इन दोनों के आर्काइव्ड ट्वीट आप यहां और यहां देख सकते हैं. खोज के दौरान हमे अदवैद नाम के ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट मिला. ये ट्वीट 25 अप्रैल 2018 को किया गया था. पोस्ट में इस तस्वीर के साथ उन्होने ये बताया कि था कि घटना केरल की नहीं बल्कि बांग्लादेश की है. उन्होने फेक न्यूज फैलाने के लिए शंखनाद के खिलाफ एक्शन लेने के लिए केरल मुख्यमंत्री कार्यालय को अपने ट्वीट में टैग भी किया था.

अपनी पोस्ट में उन्होने फेसबुक का एक लिंक दिया था जिसमें फोटो के साथ इस घटना का ज़िक्र किया गया था. नीचे वो फेस बुक पोस्ट आप देख सकते हैं. चित्तगांव ट्यूबर के नाम से इसे पोस्ट किया गया है.

এই মহিলাটি চট্টগ্রাম জেলাধীন বাঁশখালি থানার অন্তর্গত উত্তর জলদী গ্রামের স্থায়ী বাসিন্দা নাম পঞ্চবালা কর্মকার। অসহায় ও…

Geplaatst door Chittagong Tuber – সুপ্তদিশা op Zondag 8 oktober 2017

ये पोस्ट 8 अक्टूबर 2017 की है. बांग्ला भाषा में लिखी पोस्ट का हिन्दी में गूगल से किया गया अनुवाद है “यह महिला चिटगांव जिले के बांसखाली थाने के जल्दी गांव की स्थायी निवासी है. गरीब बूढ़ी औरत को प्रभावशाली पड़ोसी प्रदीप घोष और उसके बेटे विश्व घोष ने पीटा, जिसकी पहले योजना बनाई थी. यही कारण है कि उसकी स्थिति खतरनाक है. उसका इलाज करने और उसकी सेवा करने के लिए कोई लोग नहीं है. कृपया सभी लोग साझा करें.”

निष्कर्ष

सोशल मीडिया पर वायरल इस तस्वीर के साथ ये दावा गलत है कि केरल में हिंदू आदिवासी महिला को मंदिर में पूजा करने की वजह से क्रिश्चियन मिशनरीज और मुसलमानों ने पीटा है. ये तस्वीर बांग्लादेश के चिटगांग ज़िले की है. हम घटना की पूरी जानकारी का पता नहीं लगा पाए हैं. और साथ ही जमीन पर फैले सामान की तस्वीर के बारे में भी पता लगाने में असमर्थ रहे हैं. हमारी जांच जारी है. पता लगने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

हमारी फैक्ट चेक स्टोरी में अगर आपको कोई गलती नज़र आती है तो आप हमें ज़रूर लिखें. हम अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए पूरी तरह से हमेशा तैयार रहते हैं. आप हमें info@indiacheck.in या indiacheck1@gmail.com पर मेल कर सकते हैं. हम एक प्रक्रिया के तहत जांच करेंगे औऱ गलती पाए जाने पर स्टोरी को अपडेट करेंगे. आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. हमारा ट्विटर हैंडल है @indiacheck1