इंदिरा गांधी के आदेश से फायरिंग में सैकड़ों साधू-गोरक्षकों के मारे जाने का बीजेपी का दावा गलत-FACT CHECK

बीजेपी ने ट्विटर पर एक ग्रैफिकल तस्वीर पोस्ट करके राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर हमला बोला है। तस्वीर में एक तरफ नीचे पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की तस्वीर है.तस्वीर के ऊपर एक तरफ अंग्रेजी में लिखा है जिसका अनुवाद है ‘1966 में हिन्दू संतो का कत्लेआम’. उसके नीचे लिखा है ‘गायों की हत्या पर बैन के लिए कानून बनाने की मांग करने वालों पर इंदिरा गांधी ने गोली चलाने का आदेश दिया’. 375 लोग मारे गए और 5 हजार से ज्यादा गंभीर हालत में घायल हुए’. दूसरी तरफ सबसे ऊपर लिखा है ‘कांग्रेस के भारत तोड़ो का सच्चा चरित्र’. ट्वीट के कैप्शन में दावा किया गया ‘इंदिरा गांधी ने अपने सबसे बुरे शासन में सैकड़ों साधुू और गोरक्षकों की हत्या का आदेश दिया’.

इस दावे को एक बीजेपी कार्यकर्ता ने भी ट्वीट किया। 

वहीं इस पोस्टर को बीजेपी ने अपने फेसबुक पेज पर भी शेयर किया। 

इसके अलावा कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया यूजर्स के द्वारा किए गए दावे यहांयहांयहांयहांयहां देखें जा सकते हैं।

सच क्या है ?

सन् 1966 में गोहत्या विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए हिन्दू साधुओं की सही जानकारी के लिए हमने अपनी पड़ताल शुरू की। साधारण गूगल कीवर्ड सर्च करने पर हमें एक अंग्रेजी अखबार द गार्जियन की आर्काइव से एक रिपोर्ट मिली जो पहली बार 8 नवंबर 1966 को प्रकाशित हुई थी इसके मुताबिक, “भारत में हिंदुओं के लिए पवित्र गायों के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने में विलम्ब पर विरोध कर रही भीड़ द्वारा नई दिल्ली में अभूतपूर्व हिंसा को शांत करने के प्रयास में पुलिस की गोली से 5 लोगों की मौत हो गई थी।साधुओं (पवित्र पुरुषों) के नेतृत्व में कम से कम एक लाख लोगों ने दंगा किया, पुलिस से हाथापाई की, इमारतों को जलाया, और संसद पर धावा बोलने की कोशिश की।”

इस घटना के बारे में इकनॉमिक टाइम्स ने टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि, “7 नवंबर, 1966 को, नग्न नागा साधुओं और अन्य हिंदू धार्मिक नेताओं के नेतृत्व में हजारों लोग राजधानी में एकत्र हुए और गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर संसद भवन तक मार्च किया।जब पुलिस ने संसद भवन के सामने एक लाख से अधिक गोहत्या विरोधी प्रदर्शनकारियों के उग्र जुलूस पर बंदूक से 209 राउंड फायरिंग की तो उसमें  7 लोग मारे गए और कई घायल हो गए”।

द हिन्दू की आर्काइव रिपोर्ट में तत्कालीन गृहमंत्री गुलज़ारी लाल नन्दा द्वारा इस घटना पर लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक 7 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोगों के घायल होने की जानकारी मिली। 

वायरल दावे के बारे में तथ्य जुटाते-जुटाते हम अंतराराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ऐतिहासिक तथ्य संजोने वाली वेबसाइट britishpathe.com पर जा पहुंचे। इसके मुताबिक, 1966 के इस गौहत्या विरोध प्रदर्शन में 5 लोग मारे गए और कम से कम 200 लोग घायल हुए थे।  हमें यहां पर इस घटनाक्रम का एक वीडियो फुटेज भी मिला। 

इसके बाद हमें ‘इन्स्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज’ द नीदरलैंड से सम्बन्धित रिसर्चर एस एम बत्रा की “Cow and cow-slaughter in India: religious, political and social aspects” किताब मिली। इस किताब के पेज नंबर 26 पर नवम्बर 1966 की इस घटना का जिक्र करते हुए कहा गया कि इस व्यापक विरोध प्रदर्शन में यात्रा करने वालों की संख्या 1,25,000 के आसपास थी, इसमें 7 लोगों की मौत हुई जिसके कारण गृहमंत्री गुलज़ारी लाल नंदा को अपना इस्तीफा देना पड़ा था। 

निष्कर्ष

इंडिया चेक ने अपनी पड़ताल में नवंबर 1966 के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए हिन्दू साधुओं की संख्या के सन्दर्भ में बीजेपी के द्वारा किए गए दावे को गुमराह करने वाला पाया है। इस विरोध प्रदर्शन में केवल 5 से 8 लोगों के मारे जाने का रिकॉर्ड शामिल है।

दावा – सन् 1966 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून की मांग कर रहे 375 हिंदू संतों की मृत्यु हुई और 5000 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए थे

दावा करने वाली – भारतीय जनता पार्टी 

सच – दावा गुमराह करने वाला है 

Pratayksh Mishra

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